Invitation to Hindi/ Urdu Speaking friends; ( Urdu/Hindi versions follow the English version below)
Urdu Hindi اُردو / हिंदी Mushaera on Pluralism
Venue: Richardson Civic Center
411 W. Arapaho Road, Richardson, TX 75080
Saturday, June 29, 2013
7:45 PM - 11:00 PM - Limited Seating
Must RSVP to Confirmattendance@gmail.com
To be our guest attendee.
To write a poem based on the theme of Pluralism
To recite your poem in the Musha’era/ Summelan
To seek poets who can write
To be a volunteer
To be a sponsor
Selected poetry will be published in a booklet
If you want to bring a change to the society, be the propeller.
Hamari تہذيب (tehzeeb) ho, ya संस्कृति (sanskriti), we have always respected each other. However, that element of the culture is depleting and causing distrust and discomfort with each other. Can we let this happen? I hope not.
Poetry is one of the pillars of our सभ्यता , تمدن and it is in our interest to leave a better world for our نسل, पुश्त or posterity. Indeed, we can revive that tradition.
Let us consciously work towards creating संसक्त समाज, معاشرہ چسپندہ or cohesive societies where no one has to live in apprehension, discomfort or fear of the other. The mere idea of thinking and writing such thoughts in our poetry is seeding the future; indeed, this is a small step, and hope it will become a giant leap for the Urdu/Hindi speaking populations of the Subcontinent, برِصغیر, महाद्वीप in building cohesive societies.
This program will be a model program to be placed on the world wide web, and seek publication in major Urdu/ Hindi media. With your सहायता, تعاون and help, we can invite the giants of poetry in Hindi and Urdu to write the poems, if they are in Dallas, they can recite it as well.
Pluralism in one sentence is about respecting the otherness of others and accepting the God given uniqueness of each one of us. It involves building cohesive societies and creating an environment where no human has to live in apprehension, discomfort or fear of the other.
The words that best describe Pluralism in Hindi are: Anekāntavāda (Devanagari:अनेकान्तवाद) and Vasudhaiva Kutumbakam (Sanskrit: वसुधैव कुटुम्बकम) and in Urdu it is تَکثیریت (we are still looking for the right word).
I have been researching, writing and speaking on Pluralism for the last twenty years with articles in Dallas Morning news (150), fortnightly in Huffington Post (50), Washington Post (10) and several other periodicals around the glove including live workshops (28) and radio programs (520 hours) on the wisdom and essence of all the beautiful religions. And one of the three books called “Standing up for others” will be released at the Mensa Conference in Fort worth on July 4th.
I have been researching, writing and speaking on Pluralism for the last twenty years with articles in Dallas Morning news (150), fortnightly in Huffington Post (50), Washington Post (10) and several other periodicals around the glove including live workshops (28) and radio programs (520 hours) on the wisdom and essence of all the beautiful religions. And one of the three books called “Standing up for others” will be released at the Mensa Conference in Fort worth on July 4th.
You can choose a variety of topics inclusive of religion, humor, culture, food, language and day to day living. How do we get along respectfully with each other!
The poetry will be sensitive and respectful of every religion, race, ethnicity, gender, color and nationality. It’s a conscious step in advancing our culture of respecting each other’s uniqueness. The completed poetry must be in by June 15th to make it to the book.
We hope to place a book in the hands of every major poet, कवि and شاعِر. Indeed, this will be a small step, and hope it will become a giant leap for Urdu/ Hindi speaking populations in learning to respect and accept each other’s uniqueness.
We seek funding for this project and I hope you can fund it generously. You can make the check to America Together Foundation (foundation for Pluralism is its dba) or pay through credit card at:http://americatogetherfoundation.com/donate/
We hope you will walk out with a sense of belonging to the whole humanity.
Contact:
Shri D. D. Maini
Irfan Ali (940) 565-1723
Amin Tirmizi (817) 663-3786
Noor Amrohvi (972) 859-0647
Anand Punjabi (214) 499-2663
AG Chini (972) 978-7034
Javed Samuel Gill (214) 315-5253
Mike Ghouse (214) 325-1916
Url - http://urduhindimushaeraonpluralism.blogspot.com/2013/05/urdu-hindi-mushaera-on-pluralism_21.html
======================== HINDI VERSION =================
अनेकता में एकता (Pluralism) पर हिंदी उर्दू काव्य सम्मलेन
हिंदी उर्दू भाषी मित्रों को हार्दिक निमंत्रण हैअनेकता में एकता पर हिंदी उर्दू काव्य सम्मलेन
में शिरकत करें
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शनिवार, जून २९, २०१३ , शाम ८ से ११ बजे
रिचार्डसन सिविक सेंटर
आप अलग-अलग तरह से इस काव्य सम्मलेन में भाग ले सकतें हैं ;
- हमारे मेहमान बनकर पधारें,
- अनेकता में एकता पर कविता / नज़्म लिखें,
- हमें अपनी कविता खुद आकर महफ़िल में सुनियें,
- काव्य सम्मलेन के आयोजन सेवा में हमारी मदद करें,
- इस कार्यक्रम के प्रायोजक बने |
चुनिन्दा कवितायेँ और शेर एक किताब में छापे जायेंगे |
अगर आप समाज को बदलना चाहते हैं,
तो अपने शब्दों से आकर हमें प्रेरित कीजिये |
हमारी संस्कृति में , हमने हमेशा एक दुसरे की इज्ज़त की है | मगर आज इस तहज़ीबी तिजोरी से इज्ज़त चुरायी जा रही है | एक दुसरे से लोगों का भरोसा उठ रहा है | एक साथ रहने में तकलीफ़ हो रही है | क्या हम ऐसे होता हुए, खड़े-खड़े देखते रहेंगे ? शायद नहीं ?
सदियों से हमरें शायारों और कवियों की कलामों ने खम्बा बन , हमारी सभ्यता को खड़ा रखा है | यह हमारे हक में है, की हम अगली पीढ़ी के लिए , एक बेहतर दुनिया छोड़ जाएँ | हमें इस शायराना परंपरा को जिंदा रखना है |
हमें जागरूगता से इस संस्कृत समाज को बनाना है , जिसमें किसीको को भी ड़र, नफरत, शक और तकलीफ के हालातों में ना जीना पड़े | इन बातों को सोचकर और लिखकर हम अच्छे भविष्य की नीव डालेंगे | सच , यह एक छोटा कदम है | आशा है यह भारतीय महाद्वीप के देशों के लिए , यह एक बड़ी छलांग साबित हो |
तो अपने शब्दों से आकर हमें प्रेरित कीजिये |
हमारी संस्कृति में , हमने हमेशा एक दुसरे की इज्ज़त की है | मगर आज इस तहज़ीबी तिजोरी से इज्ज़त चुरायी जा रही है | एक दुसरे से लोगों का भरोसा उठ रहा है | एक साथ रहने में तकलीफ़ हो रही है | क्या हम ऐसे होता हुए, खड़े-खड़े देखते रहेंगे ? शायद नहीं ?
सदियों से हमरें शायारों और कवियों की कलामों ने खम्बा बन , हमारी सभ्यता को खड़ा रखा है | यह हमारे हक में है, की हम अगली पीढ़ी के लिए , एक बेहतर दुनिया छोड़ जाएँ | हमें इस शायराना परंपरा को जिंदा रखना है |
हमें जागरूगता से इस संस्कृत समाज को बनाना है , जिसमें किसीको को भी ड़र, नफरत, शक और तकलीफ के हालातों में ना जीना पड़े | इन बातों को सोचकर और लिखकर हम अच्छे भविष्य की नीव डालेंगे | सच , यह एक छोटा कदम है | आशा है यह भारतीय महाद्वीप के देशों के लिए , यह एक बड़ी छलांग साबित हो |
आरजू है , इस कार्यक्रम के लिए जो कवितायेँ लिखी जाएँ , वह लोगों में आदर्श सोच पैदा करे | हम इन्हें अलग-अलग हिंदी-उर्दू के पत्र-पत्रिकाओं और इन्टरनेट पर छपावायेंगे आपकी मदद से हम चाहते हैं , हिंदी-उर्दू के दिग्गज इस काव्य सम्मलेन के लिए कवितायें और नज्में लिखें और डैलस आकर हमें सुनाएँ |
अनेकता का मतलब है दूसरों की इज्ज़त करना | हर इंसान को उपरवाले ने जो अनोखापन और अनूठा व्यक्तित्व दीया है, उसे अपनाना ही, इस अनेकता को मानना है | इसके लिए चाहिए की एक ऐसा संघटित समाज बनायें, जिसमे अनेकता की नीव हो | जिसमे हर इंसान बिना दर और घुटन से जी सके | संस्कृत में अनेकता को वासुदेव कुटम्ब और अंग्रेजी में इसे Pluralism कहा गया है | कुछ लोग इसे उर्दू में कसरत-ऐ-वजूद भी कहते हैं |
अनेकता का मतलब है दूसरों की इज्ज़त करना | हर इंसान को उपरवाले ने जो अनोखापन और अनूठा व्यक्तित्व दीया है, उसे अपनाना ही, इस अनेकता को मानना है | इसके लिए चाहिए की एक ऐसा संघटित समाज बनायें, जिसमे अनेकता की नीव हो | जिसमे हर इंसान बिना दर और घुटन से जी सके | संस्कृत में अनेकता को वासुदेव कुटम्ब और अंग्रेजी में इसे Pluralism कहा गया है | कुछ लोग इसे उर्दू में कसरत-ऐ-वजूद भी कहते हैं |
मैंने पिछले बीस सालों में Pluralism को पढ़ा है , इसपर बोला और लिखा है | मेरे लेख हर दुसरे हफ्ते , हफ्फिन्ग्तन पोस्ट में, डैलस मॉर्निंग न्यूज़ (१५०),वाशिंगटन पोस्ट (१०) में छापें हैं | सभी धर्मों सुन्दर ज्ञान को मैंने रेडिओ प्रोग्रामों (५२० घंटे) और सम्मेलनों के वर्गों (२८) द्वारा फैलाया है | मैंने तीन किताबें लिखीं हैं , जिन में से एक, “Standing up for others” ( दूसरों के किये खड़े होना) , का महूरत चार जुलाए को फोर्टवर्थ के मेनसा सम्मलेन में होगा |
आप किसी भी मौज़ू या विषय जैसे धामों-ईमान, संस्कृति और तहज़ीब, खाना, बोली और ज़िन्दगी को चुन सकते हैं | समझ यही हो , की आप जो भी लिखें उससे एक दुसरे की इज्ज़त बढ़े |
कवितायेँ विचारपूर्ण हों | धर्म, जात, नसल, आदमी-औरत, रंग-रूप और नागरिकता के फर्क से दूर हटकर, लिखी हुई कवितायेँ, एक दुसरे के सम्मान को कायम रखें | एक दुसरे के खुसूसी गुणों की इज्ज़त कर, इस एक जागरूक कदम से हम अपनी सभ्यता की उन्नति करेंगे | पुस्तक में छपने के लिए, कवितायेँ १५ जून तक पहुँच जानी चाहिये |
हम हर कवी के हाथ में इस पुस्तक को रखना चाहते हैं |
धन्यवाद
माइक घौस - टेलीफोन : २१४ ३२५ १९१६
आनंद पंजाबी - टेलीफोन : २१४ ४९९ २६६३
America Together foundation
2665 Villa Creek Dr, Suite 206
Dallas, TX 75234
2665 Villa Creek Dr, Suite 206
Dallas, TX 75234
======================== URDU VERSION =================
Thank you.
Mike Ghouse
(214) 325-1916
America Together foundation
2665 Villa Creek Dr, Suite 206
Dallas, TX 75234
email: MikeGhouse@aol.com
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